govind dev ji temple jaipur गोविंद देव जी मंदिर जयपुर
गोविंद देव जी का मंदिर (govind dev ji temple jaipur) राजस्थान के गुलाबी शहर जयपुर के सिटी पैलेस में स्थित है। यह ऐतिहासिक मंदिर (govind dev ji temple jaipur) भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा जी को समर्पित मंदिर है। मंदिर में स्थित भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा जी की मूर्तियों को महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा वृंदावन से लाकर यहां स्थापित किया गया था।
गोविंद देव जी (govind dev ji temple jaipur) का इतिहास और दंत कथाएं
एक प्राचीन लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार लगभग 5000 साल पहले भगवान श्री कृष्ण के पोते श्री बजरानाभ, जिनकी उम्र उस समय लगभग 13 वर्ष की थी, उन्होंने अपनी दादी से पूछा कि भगवान श्री कृष्ण कैसे दिखते थे।
फिर उनकी दादी के बताए गए विवरण के आधार पर उन्होंने श्री कृष्ण के 3 चित्र बनाएं।
जो पहला चित्र बजरनाभ जी ने बनाया था, उसमें भगवान श्री कृष्ण के पैर मिलते जुलते थे। दूसरी छवि में श्री कृष्ण के छाती का क्षेत्र भगवान श्री कृष्ण से मिलता-जुलता था। और तीसरे चित्र में श्री कृष्ण का चेहरा भगवान श्री कृष्ण के चेहरे के साथ पूर्ण समानता रखे हुए था।
इस प्रकार श्री बजरानाथ जी द्वारा बनाई गई पहली छवि को भगवान ” मदन मोहन जी ” के नाम से जाना जाता है। दूसरे चित्र को भगवान ” गोपीनाथ जी ” के नाम से जाना जाता है और जो तीसरा चित्र बजरनाथ जी ने बनाया था, और जो काफी हद तक भगवान श्री कृष्ण से मिलता जुलता था, उसे ” गोविंद देव जी ” के नाम से जाना जाता है।
यह तीनों छवियां पहले मथुरा में स्थापित थी। लेकिन 11 वीं शताब्दी के प्रारंभ में इन तीनों छवियों को आक्रमण के भय से जंगल में छुपा दिया गया। और उसके बाद 16 वीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु के आदेश पर उनके शिष्यों के द्वारा इन छवियों को जंगल से खोज निकाला गया और इन चित्रों को मथुरा वृंदावन में स्थापित कर दिया गया।
गोविंद देव जी की मूर्तियां पहले आमेर के पास स्थित कनक वृंदावन में स्थापित थी। उस समय वहां पर घना जंगल था। दूर-दूर तक कोई घर नहीं था। इस स्थान को आज भी पुराना गोविंद देव जी के नाम से पहचाना जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि गोविंद देव जी, महाराजा जयसिंह के सपने में आए और उन्होंने अपनी मूर्ति को किसी दूसरी जगह स्थापित करने के लिए जय सिंह से कहा और जय सिंह को मूर्ति स्थापना की जगह भी बताई। इसके बाद गोविंद देव जी की मूर्ति को वर्तमान में स्थित जगह पर स्थापित किया गया। इस मंदिर (govind dev ji temple jaipur) का निर्माण 1735 ईस्वी में हुआ था।
बजरनाथ द्वारा बनाए गए तीनों चित्र राजस्थान में ही स्थित है। इनमें से दो चित्र जयपुर में है और तीसरा चित्र करौली में जो “मदन मोहन जी” के नाम से विख्यात है।
जन्माष्टमी के समय इस मंदिर में भक्तों की भयंकर भीड़ होती है और इतनी ज्यादा संख्या में भक्त भगवान गोविंद देव जी के दर्शन के लिए आते हैं की मंदिर परिसर में और मंदिर के बाहर भी दूर दूर तक लोग दिखाई देते हैं।
गोविंद देव जी (govind dev ji temple jaipur) की आरती का समय
गोविंद देव जी के मंदिर (govind dev ji temple jaipur) में दिन में सात बार आरती की जाती है और भोग लगाया जाता है। उस समय में भक्त भगवान गोविंद देव जी के दर्शन कर सकते हैं ।
आरती का समय
मंगला = 4:45 से 5:15 AM
धूप. = 7:45 से 9:00 AM
श्रृंगार = 9:30 से 10:15 AM
राजभोग = 11:00 से 11:30 AM
ग्वाल = 17:30 से 18:00 PM
संध्या = 18:30 से 19:45 PM
शयन = 20:45 से 21:15 PM
गोविंद देव जी के मंदिर में एक अत्यंत जीवंत आध्यात्मिक सकारात्मक ऊर्जा और प्रेम का वातावरण आपको महसूस होगा। भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा जी की प्रेम पूर्ण छवि आपके रोम-रोम में आध्यात्मिक ऊर्जा को जीवंत कर देती है, जो आपको इस चारों तरफ फैले भौतिकवाद के प्रभाव से मुक्त कर आपकी आत्मा को असीम शांति के उच्च शिखर की ओर अग्रसर करती है।
Map Govind Dev Ji temple Jaipur
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