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brahma temple at pushkar – पूरे भारतवर्ष में एकमात्र ब्रह्मा मंदिर पुष्कर अजमेर

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brahma temple at pushkar – ब्रह्मा मंदिर पुष्कर अजमेर

 

ब्रह्मा मंदिर (brahma temple at pushkar), पुष्कर झील के समीप स्थित है। पुष्कर में स्थित ब्रह्मा मंदिर अपने आप में एक अद्भुत कृति है। पूरे भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर में ब्रह्मा जी का यह एकमात्र प्रसिद्ध मंदिर है।

 

ब्रह्मा मंदिर का इतिहास

(brahma temple at pushkar)

ब्रह्मा जी का मंदिर 14वी शताब्दी में निर्मित हुआ था। मंदिर लगभग 700 से भी अधिक वर्ष पुराना है।

ऐसा माना जाता है की ब्रह्मा मंदिर का निर्माण ऋषि विश्वामित्र ने ब्रह्मा जी के द्वारा यज्ञ संपन्न किए जाने के बाद किया था।

इतिहासकारों के अनुसार मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य आठवीं शताब्दी में दार्शनिक आदि शंकर ने किया था। इसके बाद की संरचना और मरम्मत का कार्य रतलाम के महाराजा जावत राज ने करवाया था।

मुगल काल में औरंगजेब के शासनकाल में ब्रह्मा मंदिर को खंडित कर दिया गया था। इसमें लूटपाट की गई थी जिसे बाद में पुनः निर्मित किया गया।

 

ब्रह्मा जी और पुष्कर की पौराणिक कथा – The story of Brahma ji and the creation of Pushkar

(brahma temple at pushkar)

पद्मा पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने अपने मानस पुत्र नारद जी को सृष्टि कर्म का कार्यभार सौंपा। नारद जी ने इस कार्य के लिए असमर्थता जताई। नारद जी के द्वारा मना करने पर ब्रह्मा जी क्रोधित हो उठे और उन्होंने नारद मुनि को श्राप दे दिया। नारद मुनि, ब्रह्मा जी के द्वारा दिए हुए श्राप से अत्यंत दुखी हुए और उन्होंने अपने पिता ब्रह्मा जी से कहा कि आपने बिना किसी कारण के मुझे दंड स्वरूप श्राप दे दिया है और दुखी होकर नारद मुनि ने ब्रह्मा जी से कहा कि आपकी पूरे संसार में कहीं भी पूजा नहीं होगी और जो कोई आपकी पूजा-अर्चना करेगा उसे किसी भी प्रकार का कोई लाभ नहीं होगा। ऐसी मान्यता है कि इसी कारण पूरे संसार में ब्रह्मा जी का कहीं भी कोई मंदिर नहीं है और ना ही ब्रह्मा जी की कहीं पूजा-अर्चना होती है। पूरे भारत में सिर्फ एकमात्र ब्रह्मा जी का मंदिर पुष्कर (brahma temple at pushkar) में स्थित है।

इसी प्रकार की एक और पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार ब्रह्मा जी ने धरती पर यज्ञ करने का विचार किया और इसके लिए उन्होंने अपने पुष्प कमल को धरती पर पवित्र स्थल खोजने के लिए भेजा। पुष्पकमल ने पुष्कर की पुण्य भूमि को चुना और यहां पर एक सरोवर का निर्माण किया। इसके बाद ब्रह्माजी यज्ञ के लिए पुष्कर पहुंचे, लेकिन उनकी पत्नी सावित्री समय पर नहीं पहुंच पाई। जब ब्रह्मा जी को लगा कि समय निकला जा रहा है, तो उन्होंने वहां की एक स्थानीय लड़की से शादी कर ली और यज्ञ में बैठ गए। जब सावित्री को इस बात का पता चला तो उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि इस धरती पर कहीं भी आपका कोई मंदिर नहीं बनाएगा और ना ही पूजा-अर्चना करेगा। सिर्फ इस स्थल पर ही आप की पूजा होगी और पुष्कर में ही आपका मंदिर होगा।

इस प्रकार पुष्कर के निर्माण और ब्रह्मा मंदिर के निर्माण की पौराणिक कथाएं प्रचलित है।

 

मंदिर की संरचना और बनावट – Temple design and structure

(brahma temple at pushkar)

ब्रह्मा जी के मंदिर (brahma temple at pushkar) में लाल रंग के शिखर पर ब्रह्मा जी के वाहन हंस की मूर्ति स्थापित की गई है।

ब्रह्मा जी का यह मंदिर संगमरमर के खूबसूरत पत्थरों से निर्मित है, और इस मंदिर में ब्रह्मा जी की चतुर्मुखी प्रतिमा माता गायत्री के साथ विराजमान है। यह मूर्ति मंदिर के गर्भ गृह में स्थित है।

ब्रह्मा जी और गायत्री माता की मूर्ति को वस्त्र और मुकुट आदी से सुशोभित किया गया है और पूरी साज सज्जा के साथ इन मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया गया है।

मंदिर में खूबसूरत नक्काशीदार चांदी का कछुआ भी बना हुआ है और साथ ही चांदी के सिक्के भी फर्श में स्थापित किए गए हैं।

 

मंदिर की विशेषताएं – Features of the Temple

(brahma temple at pushkar)

  • मंदिर की सीढ़ियां और अधिकांश भाग संगमरमर के पत्थरों से बना हुआ है।
  • ब्रह्मा जी की मूर्तियां एक गर्भ ग्रह में स्थापित है जो कि एक मंडप के आकार के हॉल में है।
  • मंदिर का शिखर लाल रंग का है जिस पर ब्रह्मा जी के वाहन हंस की मूर्ति स्थापित है और इस शिखर की ऊंचाई लगभग 21 मीटर है।
  • मंदिर की अंदर की दीवारों पर सैकड़ों की संख्या में चांदी के सिक्के लगाए हुए हैं जो कि भक्तों के द्वारा चढ़ाए जाते हैं।
  • मंडप के रूप में जो हॉल बना हुआ है, उसमें एक चांदी का कछुआ भी रखा गया है जिसे मंदिर के सामने फर्श पर प्रदर्शित किया गया है।
  • ब्रह्मा जी की चारों भुजाओं में अलग-अलग चीजों को पकड़े हुए दिखाया गया है। एक भुजा में अक्षमाला है, दूसरी भुजा में एक पुस्तक है, तीसरी भुजा में कुशा घास है, और चौथी भुजा में कमंडल पकड़े हुए हैं।
  • मंदिर में गृहस्थों को या विवाहित पुरुषों को देवता की पूजा करने की अनुमति नहीं है।

मंदिर में तीन प्रमुख आरतियां होती है

(brahma temple at pushkar)

पहली आरती सुबह सूर्योदय से लगभग 2 घंटे पहले होती है जिसे मंगला आरती कहते हैं।

दूसरी आरती सूर्यास्त से लगभग 5 घंटे पहले होती है।

तीसरी आरती सूर्यास्त के लगभग 40 मिनट के बाद होती है जिसे संध्या आरती कहते हैं।

 

मंदिर के पास स्थित अन्य दर्शनीय स्थल – Attractions near temple

(brahma temple at pushkar)

यह मंदिर पुष्कर सरोवर के समीप स्थित है, जो इस मंदिर की खूबसूरती को और भी अधिक बढ़ा देती है।

पुष्कर में तीन प्रमुख सरोवर हैं जिन्हें ज्येष्ठ या प्रधान पुष्कर, मध्य या बूढ़ा पुष्कर और कनिष्क पुष्कर के नाम से जाना जाता है। ज्येष्ठ पुष्कर ब्रह्मा जी को, मध्य पुष्कर भगवान विष्णु और कनिष्क पुष्कर भगवान शंकर को समर्पित हैं।

ब्रह्मा जी के मंदिर के पास ही माता सावित्री और माता गायत्री के मंदिर भी है। इसके अलावा नारद मुनि, कुबेर और अन्य देवताओं के मंदिर भी स्थित हैं।

 

मंदिर में कब जाए – brahma temple pushkar timings

(brahma temple at pushkar)

मंदिर सोमवार से रविवार तक सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है।

मंदिर प्रातः 5:00 बजे से लेकर दोपहर 1:30 बजे तक खुला रहता है। फिर इसके बाद 3:00 बजे से लेकर रात को 9:00 बजे तक मंदिर में दर्शन किए जा सकते हैं।

सर्दी के मौसम में मंदिर के खुलने का समय सुबह 6:00 से लेकर दोपहर 1:30 बजे तक और दोपहर 3:00 बजे से लेकर रात 8:30 बजे तक रहता है।

 

ब्रह्मा मंदिर के पास स्थित होटल – hotel near brahma temple pushkar

(brahma temple at pushkar)

ब्रह्मा मंदिर का नक्शा – Brahma temple map

(brahma temple at pushkar)

 

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